परिवार में एक त्रासदी के बाद सुनिधि को एहसास हुआ कि डाइटिंग, शारीरिक मेहनत और दवाइयाँ और लिपोसक्शन भी मोटापे के आधे से ज़्यादा मामलों में खतरनाक साबित होते हैं और इनसे समस्या हल नहीं होती।
रिपोर्टर: सुनिधि जी, आपको दुनिया के शीर्ष 10 सबसे बुद्धिमान मेडिकल छात्रों में गिना जाता है। आपने मोटापे की समस्या से लड़ने का ही फैसला क्यों किया?
सुनिधि रावत:
मैं इस बारे में सार्वजनिक रूप से ज़्यादा बात नहीं करना चाहती और मेरी प्रेरणा पूरी तरह से निजी कारणों से थी। कुछ सालों पहले मेरी माँ की हाई ब्लड प्रेशर के कारण मौत हो गई थी। वे इससे कई सालों से परेशान थीं। वे बहुत परहेज से रहती थीं और वैसे ठीक थीं और वजन घटाने के लिए बहुत मेहनत भी कर रही थीं। लेकिन एक दिन अचानक उन्हें लकवा लग गया और उनकी मौत हो गई। मेरी दादी की भी इसी कारण से मौत हुई थी। इसके बाद मैंने मोटापे से संबन्धित समस्याओं के बारे में गहराई से पढ़ाई शुरू की और इनसे निजात पाने के तरीके ढूँढने लगी। जब मैंने पाया कि डाइटिंग, एक्सर्साइज़ और दवाइयों और यहाँ तक कि लिपोसक्शन भी 50% लोगों के लिए खतरनाक होते हैं और समस्या को हल नहीं कर पाते। मेरी मम्मी भी डाइटिंग कर रही थीं और 5 साल से नियमित एरोबिक्स एक्सर्साइज़ भी करती थीं।
पिछले कुछ सालों में मैंने इस मुद्दे पर बहुत काम किया है। वजन कम करने के मेरे नए तरीके के बारे में आज बहुत चर्चा हो रही है और यह मेरी थीसिस के दौरान ही सामने आई। मैंने अचानक पाया कि मैंने प्रयोग करते-करते कुछ ऐसा बना लिया है जिसके बारे में पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है।
अमेरिका की एक बड़ी दवाई कंपनी ने सुनिधि को एक फोर्मूले के बदले में 10 लाख डॉलर देने की पेशकश की और वे इससे बनी दवाई प्रति डोज़ एक हजार डॉलर में बेचना चाहते थे। लेकिन सुनिधि ने मना कर दिया और उसे पता था कि आम लोग इतना महंगा प्रोडक्ट नहीं खरीद पाएंगे। सुनिधि के जीवन का उद्देश्य था मोटापे से लड़ रहे अधिक से अधिक लोगों की मदद करना।
रिपोर्टर: हम कैसे सौदों की बात कर रहे हैं?
सुनिधि रावत:
जैसे ही अधिक वजन कम करने के बारे में मेरी रिसर्च प्रकाशित हुई, मुझे मेरे आइडिया को बेचने के ऑफर आने लगे। सबसे पहले फ्रांस के लोग आए जिन्होंने एक लाख बीस हजार डॉलर की पेशकश की। इसके बाद आई एक अमेरिकन दवाई कंपनी जो दस लाख डॉलर तक देने के लिए तैयार थी। मुझे इतने फोन आते थे कि अपना फोन नंबर बदलकर सोशल नेटवर्क छोड़ने पड़े क्योंकि लोग मेरा पीछा ही नहीं छोड़ते थे।
रिपोर्टर: लेकिन जहाँ तक मुझे पता है आपने फॉर्मूला नहीं बेचा, है न?
सुनिधि रावत:
हाँ, यह अजीब लग सकता है पर मैंने ये फॉर्मूला विदेशी लोगों को अमीर बनाने के लिए नहीं बनाया। यदि मैंने ये विदेशी लोगों को बेच दिया होता तो क्या होता? ये लोग हर चीज पेटेंट करवाने के बाद दवाई बनाकर महंगे रेट पर बेचने लगते। मैं उम्र में छोटी हूँ पर बेवकूफ़ नहीं हूँ। ऐसे में तो भारत के लोगों को अपने मोटापे का इलाज करवाने का इतना बढ़िया जरिया मिलेगा ही नहीं। विदेश के एक डॉक्टर ने मुझे बताया कि ये नुस्खा कम से कम एक हजार डॉलर का मिलेगा। अब बताइए भारत में कितने लोग एक हजार डॉलर देकर इसे खरीद सकेंगे?
यही कारण है कि मुझे सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया कि मैं इससे भारत में ही दवाई बनाऊँ और मैंने ये तुरंत स्वीकार कर लिया। हमने ये इंस्टीट्यूट ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी, के पॉलीक्लीनिक और प्राइवेट क्लीनिकों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर बनाई है। इसे बनाकर बहुत अच्छा लगा। अब इसकी क्लीनिकल टेस्टिंग चल रही है और यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।
सरकार की ओर से इसके उत्पादन में अग्रणी योगदान रहा था रश्मि गुप्ता जी का , जो इंडस्ट्री की एक जानी-मानी शख्सियत हैं हमने इनसे इस नए फोर्मूले और इसके आगे के प्लान के बारे में पूछा।
रिपोर्टर: सुनिधि का आइडिया आप संक्षिप्त में बता सकती हैं? क्या यह सच है कि आप बिना डाइटिंग और जिम के मोटापे से मुक्ति पा सकते हैं?
रश्मि गुप्ता:
सुनिधि का आइडिया बहुत शानदार है, इसे निर्देश खोज भी कहा जा सकता है क्योंकि यह वजन कम करने का सबसे तेज तरीका देती है। और हम एक ऐसे तरीके की बात कर रहे हैं जो पूरी जिंदगी मदद कर सकता है...
सुनिधि के आइडिया से बने फोर्मूले में सुपर ऑक्सीडेंट हैं जो हमारे मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से (एमिडाला) को संकेत भेजते हैं कि वह कैलोरी और चर्बी जमा करना बंद कर दे जिससे "जंक फूड" खाने की इच्छा ही खत्म हो जाती है। इसका नाम था
Green Coffee .
Green Coffee ही वह नुस्खा है और इसे कड़ाई से निर्देशों के अनुसार लेना होता है। इसमें 25 तरह के अर्क हैं जिनके कारण वसा जलने की प्रक्रिया 10 गुना तक तेज हो जाती है! इस नुस्खे से मेटाबॉलिज़्म तेज हो जाता है और एंडोक्राइन सिस्टम का काम ठीक होता है, ऊतकों का पुनर्निर्माण उत्प्रेरित होता है और इसके भूख घटाने पर बहुत अच्छे प्रभाव पड़ते हैं। यह मानव शरीर की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को सक्रिय रूप से उत्प्रेरित कर देता है। चूंकि मैटाबॉलिक प्रक्रिया तेज होने के कारण वसा जलना शुरू हो जाता है, इसलिए डाइटिंग की कोई जरूरत नहीं पड़ती। नतीजतन, त्वचा के नीचे जमी वसा और समस्या वाली जगहें हमेशा के लिए ठीक हो जाती हैं और वसा 500 ग्राम प्रति दिन की दर से जलती है ! लेकिन मुख्य चीज यह है कि
Green Coffee के कोई साइड-इफेक्ट नहीं हैं!
इस प्रोडक्ट का नाम है
Green Coffee इसमें 25 तरह के अर्क हैं जिसे वसा जलने की प्रक्रिया 10 गुना तेज हो जाती है और 500 ग्राम प्रतिदिन की दर से वसा जलती है! लेकिन मुख्य चीज यह है कि
Green Coffee के कोई साइड-इफेक्ट नहीं हैं!
रश्मि गुप्ता:
ये देखिए एक महिला के रिज़ल्ट जिसने «
Green Coffee» के परीक्षणों में हिस्सा लिया था:
रिपोर्टर: जबर्दस्त! ये फॉर्मूला दवाई बनकर दुकानों में कब आएगा? और किस रेट पर?
वजन कम करने की दवाइयाँ सिर्फ अमेरिका में हर साल करोड़ों डॉलर की कमाई लाती हैं। सुनिधि का बनाया ये प्रोडक्ट मार्केट में बड़ा बदलाव ला सकता है।
रश्मि गुप्ता:
देखिए जैसे ही इन लोगों को इस नुस्खे के असर का पता चलेगा, दवाई की कंपनियाँ हमारे ऊपर हर तरह से हमला करेंगे। इन लोगों ने सुनिधि को तो पहले ही पैसे देकर इसे खरीदने की कोशिश की थी। लेकिन ये लोग इसे बेचने के लिए इसे नहीं खरीद रहे थे। ये बस ये चाहते थे कि किसी को ये बेचा न जाए। मोटापे का इलाज दवाई कंपनियों के लिए करोड़ों का बिजनेस है। सिर्फ अमेरिका में करोड़ों डॉलर का मार्केट है। हमारे नुस्खे से मार्केट पूरा पलट जाएगा। असल में, जब
Green Coffee के एक कोर्स से हमेशा के लिए समस्या खत्म हो जाएगी तो कोई हर महीने दवाइयों में पैसे क्यों लगाएगा।
दवाई की दुकान वाले भी कंपनियों के ही पार्टनर हैं और इसलिए मिलकर काम करते हैं। इनके लिए अपना प्रोडक्ट बेचना ही सबसे बड़ी चीज है। इसलिए ये हमारे इलाज के बारे में सुनना भी नहीं चाहते जबकि यह भारत की वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सुझाया एक मात्र आधिकारिक उत्पाद है जिससे मोटापा घटाया जा सकता है।
रिपोर्टर: और जब ये नुस्खा दवाई की दुकानों में मिलेगा ही नहीं तो लोग कहाँ से लेंगे?
रश्मि गुप्ता:
हमने फैसला किया कि यदि दवाई की कंपनियाँ बीच में आएंगी तो हम इनके बिना भी काम कर लेंगे। हमने
Green Coffee का सीधा डिस्ट्रिब्यूशन शूरु किया और इन बिचौलियों को हटा डिया। हमने कई तरीकों पर विचार किया और सबसे असरदार तरीके को लाए।
Green Coffee को फार्मेसियों में नहीं बेचा जाता! इसलिए, जिन लोगों को
Green Coffee 60% डिस्काउंट पर पाना है वे लकी ड्रॉ में हिस्सा ले सकते हैं! आप किस जगह हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है, हम प्रोडक्ट को पूरे भारत में कहीं भी भेज सकते हैं।
Green Coffee को दवाई की दुकानों में नहीं बेचा जाता! इसलिए जिन लोगों को
Green Coffee 60% डिस्काउंट पर पाना है वे लकी ड्रॉ में हिस्सा ले सकते हैं! आप किस जगह हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है, हम प्रोडक्ट को पूरे भारत में कहीं भी भेज सकते हैं।
हमने बड़े स्टार पर मीडिया में विज्ञापन शुरू किए हैं ताकि लोगों को प्रोडक्ट के बारे में पता चले और
Green Coffee के 100 पैक लकी ड्रॉ में डिस्काउंट में दे रहे हैं
09.10.2023
सभी इसमें हिस्सा लेकर पहला प्राइज़ जी सकते हैं: 60% डिस्काउंट! यह ऑफर भारत के लोगों के लिए ही है ताकि लोग इस प्रोडक्ट के बारे में जान सकें।
रिपोर्टर: लेकिन इसकी कीमत कितनी होगी?
रश्मि गुप्ता:
हमने भारत सरकार के साथ ऐसी सहमति कर ली है कि हमें इतना पैसा मिल जाएगा कि हमारा सारा खर्च निकाल आए। हमारा उद्देश्य है इस नुस्खे को जनता तक पहुंचाना और सिर्फ अमीरों तक सीमित नहीं रखना। इसके बदले हमने यह सहमति दी है कि हम प्रोडक्ट एक्सपोर्ट नहीं करेंगे और सिर्फ भारत में डिस्ट्रीब्यूट करेंगे।
रिपोर्टर: धन्यवाद रश्मि जी! इस अनोखे प्रोडक्ट के बारे में जानकार बहुत अच्छा लगा! क्या आप हमारे पाठकों के लिए कुछ कहना चाहेंगी?
रश्मि गुप्ता:
आपका भी धन्यवाद। हम अपने सभी पाठकों को मोटापे से निजात पाने की सलाह देंगे क्योंकि यह कई तरह की बीमारियों की जड़ होता है जैसे:
- उच्च रक्तचाप
- मधुमेह
- आर्थ्रोसिस
- वेरिकोज़ नसें
- फैटी लीवर
दुबले होने का इंतज़ार ही न करते रहें, अपनी समस्या से लड़ना अभी शुरू करें!
सामग्री
100% कॉफ़ी बीन्स